क्या रामायण में श्रवण कुमार का कोई वर्णन है?
श्रवण कुमार की कथा से भला कौन परिचित नहीं है। आधुनिक काल में वो एक कर्तव्यनिष्ठ पुत्र के एक ऐसे उदाहरण हैं जिनके जैसा बनना हर संतान का एक स्वप्न होता है। हम ये भी जानते हैं कि श्रवण कुमार की कथा...
View Articleरामायण के अनुसार श्रीराम का वंश
कुछ समय पहले हमने श्रीराम के वंशके बारे में एक वीडियो प्रकाशित किया था। किन्तु यदि आप वाल्मीकि रामायण पढ़ेंगे तो आपको उनके वंश का एक अलग वर्णन मिलता है। ये थोड़ा अजीब इसीलिए है क्यूंकि कुछ चंद्रवंशी...
View Articleजटायु का पराक्रम
अरुण के पुत्र और सम्पाती के छोटे भाई जटायुके विषय में तो हम सभी जानते ही हैं। हम ये भी जानते हैं कि किस प्रकार जटायु ने रावण से माता सीता की रक्षा करने का प्रयत्न किया था। अधिकतर लोग बस यही जानते हैं...
View Articleजब हनुमान जी ने अपने सामर्थ्य का वर्णन किया
ये तो हम सभी जानते हैं कि हनुमान जी को अपनी शक्ति को भूल जाने के श्राप था। इसी कारण जब वानर सेना समुद्र के किनारे खड़ी हो उस पर जाने की योजना बना रही थी तो विभिन्न वानरों ने अपनी-अपनी शक्ति के अनुसार...
View Articleसृष्टि के आरम्भ में ब्रह्माण्ड से किन-किनकी उत्पत्ति हुई?
जब हम व्यास महाभारत पढ़ते हैं तो उसके पहले ही पर्व, आदिपर्व के अनुक्रमाणिका पर्व के श्लोक २१ में हमें ब्रह्माण्ड की उत्पति और फिर उस ब्रह्माण्ड से जिन-जिन लोगों की उत्पत्ति हुई, उसका वर्णन मिलता है।...
View Articleमूल व्यास महाभारत की संरचना
अधिकतर लोगों को ये पता है कि महाभारत में कुल १८ पर्व और १००००० श्लोक हैं। जनमानस में भी यही जानकारी उपलब्ध है किन्तु बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि वास्तव में महर्षि वेदव्यास ने बहुत ही वृहद् महाभारत...
View Articleवानरराज वाली
वानरराज वाली रामायण के एक मुख्य पात्र हैं। आज हमें इंटरनेट पर यहाँ-वहाँ वाली के बारे में कई आश्चर्यजनक बातें पता चलती है किन्तु आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि उनमें से अधिकतर चीजों का मूल रामायण से कोई...
View Articleसंभल के हरिहर मंदिर का पूरा इतिहास
"पांच सदी से जमा रक्त जब शोले बनकर खौलेगा।कब्र से उठकर बाबर भी तब हरिहर हरिहर बोलेगा।"नहीं, ये मेरी रचना नहीं है बल्कि इसे रचने वाले हैं महंत ऋषिराज गिरी जी। ये वही व्यक्ति हैं जिन्होंने वर्तमान में...
View Articleलंकिनी
रामायण के सुन्दर कांड में हनुमान जी द्वारा लंका में प्रवेश करने का प्रसंग है। इसी प्रसंग में लंका पुरी का विस्तृत वर्णन दिया गया है। रामायण के अनुसार लंका पुरी वास्तव में एक राक्षसी ही थी जो स्वयं और...
View Articleमहाभारत में वर्णित २४ महान राजा
महाभारत के आदिपर्व के प्रथम अध्याय के अनुक्रमणिकपर्व में हमें महाराज धृतराष्ट्र और संजय का एक प्रसंग मिलता है जिसमें संजय ने इतिहास के २४ महान राजाओं का वर्णन किया है। ये प्रसंग तब का है जब धृतराष्ट्र...
View Articleक्या वास्तव में महर्षि दुर्वासा ने शकुंतला को श्राप दिया था?
महाराज दुष्यंत और शकुंतला की कथा तो हम सभी जानते ही हैं। हालाँकि यदि मैं कहूं कि इनकी वास्तविक कथा आज बहुत ही कम लोग जानते होंगे, तो आपको बड़ा आश्चर्य होगा। वो इसीलिए क्यूंकि ये हिन्दू धर्म की सबसे...
View Articleकितनी भव्य थी रावण की लंका?
लंका की भव्यता के विषय में हम सभी ने सुना है। विशेषकर वाल्मीकि रामायण में इसके विषय में बहुत विस्तार से लिखा गया है। रामायण के सुन्दर कांड के चौथे सर्ग में हमें लंका के विषय में विस्तृत वर्णन मिलता है...
View Articleआरुणि, उपमन्यु और वेद - एक ही गुरु के तीन अद्भुत शिष्य
हिन्दू धर्म में सदा से गुरु शिष्य परंपरा रही है। हमारे इतिहास में एक से एक शिष्य हुए हैं जिन्होंने अपने गुरु के लिए बड़ा से बड़ा बलिदान दिया, किन्तु आज हम एक ही गुरु के तीन ऐसे शिष्यों के विषय में...
View Articleमहर्षि उत्तंक
पिछले लेखमें हमने महर्षि आयोदधौम्य के तीन शिष्यों - आरुणि, उपमन्यु और वेद के विषय में पढ़ा था। इस लेख में हम महर्षि उत्तंक के विषय में जानेंगे जो महर्षि वेद के ही शिष्य थे। महर्षि उत्तंक की कथा हमें...
View Articleजब तक्षक ने धन देकर काश्यप ऋषि को लौटा दिया
आपने महाराज परीक्षित वाले लेखमें पढ़ा था कि किस प्रकार कलियुग के प्रभाव में आकर उन्होंने ऋषि शमीक के कंधे पर एक मरे हुए सर्प को डाल दिया। इससे क्रोधित होकर उनके पुत्र श्रृंगी ने महाराज परीक्षित को ये...
View Articleजन्मेजय के सर्पयज्ञ में मारे गए मुख्य-मुख्य नागों के नाम
हम सभी परीक्षित पुत्र जन्मेजय द्वारा किये गए सर्पयज्ञ के विषय में जानते ही हैं। सर्पयज्ञ और उसके इतिहास के विषय में विस्तृत लेख हम कभी और प्रकाशित करेंगे। इस लेख में हम उस सर्पयज्ञ में भस्म हुए...
View Articleश्रीराम का रूप कैसा था?
श्रीराम का रूप कितना मनोहर था उसके बारे में कुछ कहने की आवश्यकता तो नहीं है क्यूंकि हम सभी भक्तों के मन में भी उनके मनोहर रूप की अलग-अलग छवि बसी हुई है। वैसे तो श्रीराम के रूप के विषय में कई ग्रंथों...
View Articleजब भृगु ऋषि के श्राप के कारण अग्निदेव रुष्ट हो गए
ब्रह्माजीके पुत्र महर्षि भृगुके विषय में तो हम सब जानते ही हैं। उनकी पत्नी का नाम था पुलोमा जो अद्वितीय सौंदर्य की स्वामिनी थी। एक बार महर्षि भृगु स्नान के लिए आश्रम से बाहर गए हुए थे। उस समय पुलोमा...
View Articleशास्त्रों में कितने प्रकार के विवाह बताये गए हैं?
हिन्दू धर्म में विवाह को १६ संस्कारों में से एक माना गया है। आम और पर लोगों को एक ही प्रकार के विवाह के विषय में पता होता है। कुछ लोग, जिन्होंने अपने धर्म ग्रंथों का थोड़ा अध्ययन किया है, उन्हें गन्धर्व...
View Articleगंगा
हिन्दू धर्म में गंगाजी का क्या महत्त्व है इसके बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। लगभग हर ग्रन्थ में माता गंगा के विषय में कोई ना कोई वर्णन मिलता है। गंगा जी के बारे में सबसे पहला वर्णन हमें ऋग्वेद...
View Articleक्या गुरु द्रोण ने वास्तव में कर्ण को शिक्षा देने से मना किया था?
महाभारत में जो एक पात्र है जिसके बारे में सबसे अधिक गलत और भ्रामक जानकारी आजकल इंटरनेट और टीवी सीरियलों में फैली है वो है सूर्यपुत्र कर्ण। कर्ण के विषय में जितनी भ्रामक जानकारियाँ आज हमें मिलती है...
View Articleयोगमाया कौन है?
"मैं सभी के लिये प्रकट नही हूँ क्योंकि में अपनी शक्ति योगमाया द्वारा आच्छादित रहता हूँ।"श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ७, श्लोक २५जब भी हम भगवान श्रीकृष्ण का जीवन वृतांत पढ़ते हैं तो हमें एक देवी के बारे में...
View Articleराजा उपरिचर वसु
महाभारत में सत्यवती के बारे में आप लोगों ने सुना होगा। वे महाराज शांतनु की पत्नी और चित्रांगद और विचित्रवीर्य की माता थी। महर्षि व्यास का जन्म भी उन्ही के गर्भ से हुआ था। हालाँकि उनके जन्म के विषय में...
View Articleगरुड़
ये तो हम सब जानते ही हैं कि महर्षि कश्यप ने प्रजापति दक्ष की १७ कन्याओं से विवाह किया जिससे समस्त जातियों की उत्पत्तिहुई। उन्ही में से दो कन्याएं थी - कुद्रू और विनता। कुद्रू ने महर्षि कश्यप से १००० और...
View Articleक्या हनुमान कभी लंका में विभीषण से मिले थे?
रामायण के सन्दर्भ में हमें एक कथा का वर्णन मिलता है जब हनुमान जी माता सीता की खोज में जाते हैं तो लंका में बहुत खोजने के बाद भी उन्हें माता सीता के दर्शन नहीं होते। तब उनकी भेंट महात्मा विभीषण से होती...
View Article